
Category: जीवन शैली




दीनदयाल नगर: संघ की नगर इकाई द्वारा वन विहार कार्यक्रम सम्पन्न
📍 स्थान: श्री महालक्ष्मी महरौड़ी देवी मंदिर, भुपौली
दिनांक: [6.7.2025]
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नगर इकाई दीनदयाल नगर द्वारा आज श्री महालक्ष्मी महरौड़ी देवी मंदिर, भुपौली के पावन प्रांगण में वन विहार कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शाखा का आयोजन, सामूहिक बौद्धिक, देशभक्ति गीत और सामूहिक भोजन की सुंदर व्यवस्था की गई थी।
कार्यक्रम का उद्देश्य स्वयंसेवकों में प्रकृति से जुड़ाव, संगठनात्मक समरसता तथा सनातन परंपराओं की प्रेरणा को सजीव करना रहा।
इस पावन अवसर पर मुख्य अतिथि काशी विभाग सामाजिक सद्भाव प्रमुख अनिल जी ने अपने उद्बोधन में कहा:
> “इस दिव्य प्रांगण में कभी त्रिदंडी बाबा और अवधूत बाबा को ज्ञान प्राप्त हुआ था। आज संघ का वन विहार कार्यक्रम यहां आयोजित होना अपने आप में एक सौभाग्य की बात है। यह स्थान आध्यात्मिक चेतना और संघ की विचारधारा को जोड़ने का सशक्त माध्यम है।”
📌 कार्यक्रम का समापन सह नगर कार्यवाह रोहित जी द्वारा किया गया।
📌 कार्यक्रम संचालन एवं व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों में:
नगर संघचालक संजय जी
नगर प्रचारक अंकित जी
प्रचार विभाग से घनश्याम जी, रोहित जी, सुमित जी, मलय जी, बलराम जी
वरिष्ठ कार्यकर्ता रामधार चौहान जी एवं संजय रस्तोगी जी
आदि की विशेष उपस्थिति रही।
कार्यक्रम के माध्यम से स्वयंसेवकों ने न केवल राष्ट्रभक्ति का भाव जागृत किया, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भी संकल्प दोहराया।
July 6, 2025
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मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से मज़दूरों को समर्पित एक अपील
“फिर से चाहिए 8 घंटे का अधिकार –
मज़दूर न किसी का ग़ुलाम है, न कोई व्यापार!”
आज 1 मई – अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया उन मेहनतकश हाथों को सलाम करती है, जिन्होंने अपने खून-पसीने से दुनिया का निर्माण किया है।
लेकिन आज एक बार फिर वही सवाल खड़ा है –
क्या हमारे मज़दूरों को वह सम्मान, वह अधिकार मिल पा रहे हैं जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी?
1886 में अमेरिका के शिकागो में जब मज़दूरों ने 8 घंटे की शिफ्ट के लिए अपनी जानें दीं, तब जाकर यह अधिकार मिला।
मगर आज फिर वही मज़दूर 12 से 18 घंटे काम करने को विवश है –
कम मज़दूरी, ज़्यादा काम, और सम्मान शून्य।
मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं:
8 घंटे का काम मज़दूर का हक़ है, एहसान नहीं।
हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, और काम का सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए।
मज़दूर को कोई ठेके का सामान न समझें – वह भी एक इंसान है, जिसके सपने हैं, परिवार है, और जीने का हक़ है।
आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है –
मज़दूरों की आवाज़ को फिर से बुलंद करना।
उनके हक़ के लिए एकजुट होना।
हमारा संकल्प:
“रोटी भी चाहिए, इज़्ज़त भी चाहिए,
इंसान हैं हम – गुलाम नहीं!”
आपका
संजय रस्तोगी
राष्ट्रीय अध्यक्ष – मानवाधिकार न्यूज़
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