चंदौली । डीडीयू मंडल के आर पी एफ कमांडेंट कार्यालय में एरियर के पैसे का गोलमाल

चन्दौली

डीडीयू मंडल के आर पी एफ कमांडेंट कार्यालय में एरियर के पैसे का गोलमाल

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मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से मज़दूरों को समर्पित एक अपील
“फिर से चाहिए 8 घंटे का अधिकार –
मज़दूर न किसी का ग़ुलाम है, न कोई व्यापार!”

आज 1 मई – अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया उन मेहनतकश हाथों को सलाम करती है, जिन्होंने अपने खून-पसीने से दुनिया का निर्माण किया है।
लेकिन आज एक बार फिर वही सवाल खड़ा है –
क्या हमारे मज़दूरों को वह सम्मान, वह अधिकार मिल पा रहे हैं जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी?

1886 में अमेरिका के शिकागो में जब मज़दूरों ने 8 घंटे की शिफ्ट के लिए अपनी जानें दीं, तब जाकर यह अधिकार मिला।
मगर आज फिर वही मज़दूर 12 से 18 घंटे काम करने को विवश है –
कम मज़दूरी, ज़्यादा काम, और सम्मान शून्य।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं:

8 घंटे का काम मज़दूर का हक़ है, एहसान नहीं।

हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, और काम का सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए।

मज़दूर को कोई ठेके का सामान न समझें – वह भी एक इंसान है, जिसके सपने हैं, परिवार है, और जीने का हक़ है।


आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है –
मज़दूरों की आवाज़ को फिर से बुलंद करना।
उनके हक़ के लिए एकजुट होना।

हमारा संकल्प:
“रोटी भी चाहिए, इज़्ज़त भी चाहिए,
इंसान हैं हम – गुलाम नहीं!”

आपका
संजय रस्तोगी
राष्ट्रीय अध्यक्ष – मानवाधिकार न्यूज़

मिर्जापुर के कछवां थाना क्षेत्र के नरायनपुर गांव निवासी चंद्र प्रकाश पटेल, जो भारतीय सेना के जवान थे, युद्धाभ्यास के दौरान तोप पर शहीद हो गए। सेना के सूबेदार नरेंद्र सिंह ने बताया कि यह तोप पर कैजुएल्टी का मामला है। शहीद जवान का पार्थिव शरीर सेना द्वारा आज दोपहर में कछवां लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार गंगा तट पर किया जाएगा।
चंद्र प्रकाश पटेल का 2010 में भारतीय सेना में पहले प्रयास में चयन हुआ था। वह सेना की 99वीं बटालियन में तैनात थे और इन दिनों राजस्थान के सूरतगढ़ में तैनात थे। 22 अक्टूबर को वह घर आए थे, और एक सप्ताह के बाद सेना की ड्यूटी के लिए वापस लौट गए थे।
शहीद के परिवार में मातम, गांव में उमड़ी भीड़ चंद्र प्रकाश के निधन की सूचना मिलते ही गांव में गम का माहौल छा गया। शहीद जवान की पत्नी स्नेहा पटेल और ढाई साल के बेटे अयांश के साथ उनका परिवार गहरे शोक में डूबा हुआ है। परिवार के अन्य सदस्य, विशेष रूप से उनके माता-पिता राजपति और राजनाथ पटेल, जो शहादत की खबर सुनकर विलाप कर रहे थे, इस दुःखद घटना से बुरी तरह प्रभावित हैं।

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