सांस्कृतिक पुनर्जागरण की हुंकार: धर्मांतरण, लव-जिहाद और सामाजिक समरसता के लिए संतों का विराट संकल्प

संवाददाता – संजय रस्तोगी

सांस्कृतिक पुनर्जागरण की हुंकार: धर्मांतरण, लव-जिहाद और सामाजिक समरसता के लिए संतों का विराट संकल्प

विश्व हिंदू परिषद काशी प्रांत के तत्वावधान में आज धर्म संघ मंडल काशी में पूज्य संतों के मार्गदर्शक मंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता श्रृंगवेरपुर, प्रयागराज के पूज्य संत जयराम दास जी महाराज ने की। बैठक में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी जी ने समाज में बढ़ते धर्मांतरण, लव-जिहाद, परिवारों में संस्कारों की कमी और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों पर गहन विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के समक्ष आज कई चुनौतियां हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए पूज्य संतों का मार्गदर्शन हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। संतों ने हिंदू धार्मिक स्थलों जैसे काशी विश्वनाथ और श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति पर भी चिंतन किया। वर्तमान में हिंदू धार्मिक यात्राओं पर हो रहे हमलों से आहत है, और संतों ने समाज को इन मुद्दों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। बांग्लादेश में हाल की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि धर्म और संस्कृति की रक्षा हो सके। जनसंख्या असंतुलन और समान कानून के मुद्दे पर भी संतों ने सरकार से चर्चा करने की बात कही। आने वाले महाकुंभ 2025 में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर संत सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जहां धर्मांतरण, लव-जिहाद, संस्कारों की कमी, और सामाजिक समरसता पर गहन चर्चा की जाएगी। पूज्य संत भारत भूषण जी ने परिवारों में संस्कारों की कमी को एक गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि परंपराओं, रीति-रिवाजों और सामाजिक मूल्यों का ज्ञान अगली पीढ़ी तक नहीं पहुंच पा रहा है, जिसके कारण परिवार टूट रहे हैं और समाज धर्मांतरण की ओर जा रहा है। पूज्य संत अवध बिहारी दास जी महाराज ने हिंदू समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करने पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए संतों को जागरूकता यात्राएं निकालनी होंगी और समाज में भेदभाव को मिटाने का प्रयास करना होगा। महाकुंभ 2025 में धर्मांतरण, लव-जिहाद, और अस्पृश्यता को समाप्त करने के विषय पर संत सम्मेलन में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा और काशी विश्वनाथ की मुक्ति पर भी गहन चिंतन होगा, और हिंदू समाज की मान्यताओं, परंपराओं एवं संस्कारों को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के विषय में भी संत समाज मार्गदर्शन करेगा। कार्यक्रम का संचालन संत संपर्क प्रमुख काशी प्रांत आद्याशंकर मिश्र ने किया, जिसमें प्रमुख रूप से केंद्रीय मंत्री हरिशंकर, विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री गजेंद्र, पूज्य संत रामाश्रम, पूज्य शंकर देव चैतन्य ब्रह्मचारी जी, पूज्य गोपाल जी निर्वाणी अखाड़ा, राधे गिरी जी निरंजनी अखाड़ा, विवेक भारती जी महानिर्वाणी अखाड़ा, सुदामा कुटिया आश्रम के महंत लाल बाबा जी महाराज, सच्चा आश्रम से मनोज ब्रह्मचारी जी, फलाहारी आश्रम से राजारामजी महाराज, विमल देव आश्रम, परशुराम अखाड़ा सुदर्शनाचार्य जी, लवकुश जी बृजभूषण आनंद जी आदि उपस्थित रहे ।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से मज़दूरों को समर्पित एक अपील
“फिर से चाहिए 8 घंटे का अधिकार –
मज़दूर न किसी का ग़ुलाम है, न कोई व्यापार!”

आज 1 मई – अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया उन मेहनतकश हाथों को सलाम करती है, जिन्होंने अपने खून-पसीने से दुनिया का निर्माण किया है।
लेकिन आज एक बार फिर वही सवाल खड़ा है –
क्या हमारे मज़दूरों को वह सम्मान, वह अधिकार मिल पा रहे हैं जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी?

1886 में अमेरिका के शिकागो में जब मज़दूरों ने 8 घंटे की शिफ्ट के लिए अपनी जानें दीं, तब जाकर यह अधिकार मिला।
मगर आज फिर वही मज़दूर 12 से 18 घंटे काम करने को विवश है –
कम मज़दूरी, ज़्यादा काम, और सम्मान शून्य।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं:

8 घंटे का काम मज़दूर का हक़ है, एहसान नहीं।

हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, और काम का सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए।

मज़दूर को कोई ठेके का सामान न समझें – वह भी एक इंसान है, जिसके सपने हैं, परिवार है, और जीने का हक़ है।


आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है –
मज़दूरों की आवाज़ को फिर से बुलंद करना।
उनके हक़ के लिए एकजुट होना।

हमारा संकल्प:
“रोटी भी चाहिए, इज़्ज़त भी चाहिए,
इंसान हैं हम – गुलाम नहीं!”

आपका
संजय रस्तोगी
राष्ट्रीय अध्यक्ष – मानवाधिकार न्यूज़

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