“मानवाधिकार न्यूज़: चन्दौली में छठ पूजा के दौरान बड़ा हादसा, युवक की पोखरे में डूबने से मौत”

मानवाधिकार न्यूज़: चन्दौली। चन्दौली पोखरा में डूबने से एक युवक की मौत हो गयी। आपको बता दें कि चकिया नगर स्थित वार्ड नंबर 6 का निवासी 19 वर्षीय राजबाबू की मौत हो गयी। वहीं सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद के बाद डाला छठ पर युवक की मौत होने से हड़कम मच गया।

मानवाधिकार न्यूज

संवाददाता -: प्रदीप कुमार शर्मा

पुलिस के मौजूदगी में रेस्क्यू अभियान जारी है। सूत्रों के जानकारी के अनुसार युवक नशे की हालत में था। चकिया थाना क्षेत्र के काली जी पोखरा का मामला बताया जा रहा है। मौके पर लोगों की भारी भीड़ उपस्थित है।
“क्षेत्राधिकारी चकिया आशुतोष तिवारी ने बताया कि थाना चकिया अन्तर्गत काली माता मंदिर परिसर स्थित पोखरा में एक व्यक्ति के डूबने की सूचना पर तत्काल स्थानीय पुलिस द्वारा मौके पर पहुंच स्थानीय लोगों एवं गोताखोरों की मदद से डूबे व्यक्ति की तलाश सहित अन्य आवश्यक विधिक कार्रवाई प्रचलित है।”
गोताखोरों द्वारा शव को खोज लिया गया है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

संवाददाता -: प्रदीप कुमार शर्मा

 

दिनांक 23.9.24 को मानवाधिकार न्यूज़ के राष्ट्र अध्यक्ष संजय जी के पुत्र सक्षम का जन्मदिन था, और इस उपलक्ष में उनके द्वारा जरूरतमंदों को खाना एवं मिठाई बांटने का काम किया गया, अध्यक्ष जी का कहना है की जन्मदिन पर केक काटने के साथ-साथ बच्चों को यह भी संस्कार दिए जाने चाहिए।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से मज़दूरों को समर्पित एक अपील
“फिर से चाहिए 8 घंटे का अधिकार –
मज़दूर न किसी का ग़ुलाम है, न कोई व्यापार!”

आज 1 मई – अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया उन मेहनतकश हाथों को सलाम करती है, जिन्होंने अपने खून-पसीने से दुनिया का निर्माण किया है।
लेकिन आज एक बार फिर वही सवाल खड़ा है –
क्या हमारे मज़दूरों को वह सम्मान, वह अधिकार मिल पा रहे हैं जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी?

1886 में अमेरिका के शिकागो में जब मज़दूरों ने 8 घंटे की शिफ्ट के लिए अपनी जानें दीं, तब जाकर यह अधिकार मिला।
मगर आज फिर वही मज़दूर 12 से 18 घंटे काम करने को विवश है –
कम मज़दूरी, ज़्यादा काम, और सम्मान शून्य।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं:

8 घंटे का काम मज़दूर का हक़ है, एहसान नहीं।

हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, और काम का सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए।

मज़दूर को कोई ठेके का सामान न समझें – वह भी एक इंसान है, जिसके सपने हैं, परिवार है, और जीने का हक़ है।


आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है –
मज़दूरों की आवाज़ को फिर से बुलंद करना।
उनके हक़ के लिए एकजुट होना।

हमारा संकल्प:
“रोटी भी चाहिए, इज़्ज़त भी चाहिए,
इंसान हैं हम – गुलाम नहीं!”

आपका
संजय रस्तोगी
राष्ट्रीय अध्यक्ष – मानवाधिकार न्यूज़

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