पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय सिक्ख समाज संगत और चढ़दीकला कार सेवा संस्था द्वारा सिक्ख धर्म के संस्थापक पहले गुरु नानक देव जी महाराज के 555 वे प्रकाश पर्व के उपलक्ष में उनके दिखाये रास्तों पर चलने का प्रयास करते हुए जरूरतमंद लोगों की बस्तियों में जाकर आने वाली सर्दी से बचाव के लिए वहां के बच्चों को नए गर्म कपड़े बांटने की सेवा की गई

रिपोर्ट राहुल मेहानी

पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय सिक्ख समाज संगत और चढ़दीकला कार सेवा संस्था द्वारा सिक्ख धर्म के संस्थापक पहले गुरु नानक देव जी महाराज के 555 वे प्रकाश पर्व के उपलक्ष में उनके दिखाये रास्तों पर चलने का प्रयास करते हुए जरूरतमंद लोगों की बस्तियों में जाकर आने वाली सर्दी से बचाव के लिए वहां के बच्चों को नए गर्म कपड़े बांटने की सेवा की गई बताते चलें कि यह सेवा नगर के प्रतिष्ठित कपड़े के शोरूम प्रिंस दीवाना के सहयोग से हुई आज  सोमवार को सिक्ख समाज और चढ़दीकला कार सेवा संस्था के सेवादारों द्वारा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की देखरेख में भिसोडी गांव और मलोखर गांव में जाकर जरूरतमंद लोगों को चिन्हित करके उनको बिल्कुल नए गर्म कपड़ों का वितरण किया गया, संस्था के 10 वर्ष पूरे होने पर इस सेवा कार्य को करते हुए संस्था के सदस्यों द्वारा यह संकल्प लिया गया कि आगे भी निकट भविष्य में संस्था द्वारा सिक्ख धर्म का अनुपालन करते हुए और गुरु ग्रंथ साहिब जी के बताए शिक्षा अनुसार संस्था इसी तरह से जरूरतमंदों की सेवा में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगी और सक्रिय रहेगी। कपड़ों के वितरण के दौरान मलोखर के लवकुश यादव, संजय यादव के आवास पर वितरण कार्यक्रम किया गया वहीं भीसौरी गांव में प्रधान महेंद्र यादव ने भी सैकड़ो की संख्या में जरूरत मन्दो को कपड़े वितरित करने में सहयोग किया। इस दौरान सोशल एक्टिवेट सतनाम सिंह के संस्था के अध्यक्ष कवल दीप सिंह मनमीत सिंह राजन रोहित सचदेवा बल्लू तारा करमजीत सिंह हरदीप सिंह सरबजीत सिंह सरफराज संदीप सिंह सनी सिंह बलवीर सिंह लकी सुखविंदर सिंह सुरजीत सिंह आदि लोग मौजूद रहे

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से मज़दूरों को समर्पित एक अपील
“फिर से चाहिए 8 घंटे का अधिकार –
मज़दूर न किसी का ग़ुलाम है, न कोई व्यापार!”

आज 1 मई – अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया उन मेहनतकश हाथों को सलाम करती है, जिन्होंने अपने खून-पसीने से दुनिया का निर्माण किया है।
लेकिन आज एक बार फिर वही सवाल खड़ा है –
क्या हमारे मज़दूरों को वह सम्मान, वह अधिकार मिल पा रहे हैं जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी?

1886 में अमेरिका के शिकागो में जब मज़दूरों ने 8 घंटे की शिफ्ट के लिए अपनी जानें दीं, तब जाकर यह अधिकार मिला।
मगर आज फिर वही मज़दूर 12 से 18 घंटे काम करने को विवश है –
कम मज़दूरी, ज़्यादा काम, और सम्मान शून्य।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं:

8 घंटे का काम मज़दूर का हक़ है, एहसान नहीं।

हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, और काम का सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए।

मज़दूर को कोई ठेके का सामान न समझें – वह भी एक इंसान है, जिसके सपने हैं, परिवार है, और जीने का हक़ है।


आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है –
मज़दूरों की आवाज़ को फिर से बुलंद करना।
उनके हक़ के लिए एकजुट होना।

हमारा संकल्प:
“रोटी भी चाहिए, इज़्ज़त भी चाहिए,
इंसान हैं हम – गुलाम नहीं!”

आपका
संजय रस्तोगी
राष्ट्रीय अध्यक्ष – मानवाधिकार न्यूज़

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