भीषण गर्मी को देखते हुए खाना बैंक ट्रस्ट ने रिक्शा चालकों में गमछा, पानी ओआरएस पैकेट और फल का किया वितरण।

संवाददाता – राहुल मेहानी

भीषण गर्मी को देखते हुए खाना बैंक ट्रस्ट ने रिक्शा चालकों में गमछा, पानी ओआरएस पैकेट और फल का किया वितरण।
आज शनिवार को जरूरतमंदों को भोजन वितरण करने वाली नगर की प्रतिष्ठा संस्था खाना बैंक ट्रस्ट द्वारा अलीनगर तिराहे पर नगर के रिक्शा चालक भाइयों को गर्मी से राहत के लिए गमछा,पानी,ओआरएस पैकेट और फल का वितरण किया गया। इस दौरान कुल 30 रिक्शे वाले भाइयों के मध्य सामग्री वितरण किया गया।
इस कार्यक्रम की शुरुआत क्षेत्राधिकारी पीडीडीयू नगर अनिरुद्ध सिंह जी के द्वारा रिक्शा चालक भाइयों को गमछा देकर किया गया। अनिरुद्ध सिंह जी ने संस्था की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि रिक्शे वाले भाइयों के लिए यह प्रयास प्रशंसनीय है, इस तपती धूप में इन्हें इससे काफी राहत मिलेगी साथ ही उन्होंने कहा की खाना बैंक संस्था दिनप्रतिदिन समाज में अच्छे कार्य करती रही है संगठन को उज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
इस दौरान ट्रैफिक इंस्पेक्टर एसके यादव, फायर स्टेशन ऑफिसर अमित राय, एएसआई सुरेंद्र यादव,खाना बैंक से संस्थापक अंकित त्रिपाठी, महासचिव प्रवीण अग्रहरी,नितेश, अंकेश,रवि, प्रियांशु,अमित,आशुतोष,सिद्धार्थ,रवि मौजूद रहे।

आज 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर दिव्य एकेडमी कोचिंग संस्थान बबुरी में सुलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे प्रियंका प्रथम, सुहाना द्वितीय और कीर्ति ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
विद्यालय में पढ़ाने वाली हिंदी की वरिष्ठ अध्यापिका सुनीता केशरी द्वारा बच्चों को गोल्ड मेडल सिल्वर मेडल और ब्रांज मेडल द्वारा पुरस्कृत किया गया।।
विद्यालय के प्रबंधक अरुण कुमार पाठक जी ने बच्चो का उत्साह वर्धन किया।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से मज़दूरों को समर्पित एक अपील
“फिर से चाहिए 8 घंटे का अधिकार –
मज़दूर न किसी का ग़ुलाम है, न कोई व्यापार!”

आज 1 मई – अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया उन मेहनतकश हाथों को सलाम करती है, जिन्होंने अपने खून-पसीने से दुनिया का निर्माण किया है।
लेकिन आज एक बार फिर वही सवाल खड़ा है –
क्या हमारे मज़दूरों को वह सम्मान, वह अधिकार मिल पा रहे हैं जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी?

1886 में अमेरिका के शिकागो में जब मज़दूरों ने 8 घंटे की शिफ्ट के लिए अपनी जानें दीं, तब जाकर यह अधिकार मिला।
मगर आज फिर वही मज़दूर 12 से 18 घंटे काम करने को विवश है –
कम मज़दूरी, ज़्यादा काम, और सम्मान शून्य।

मानवाधिकार न्यूज़ की ओर से हम यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं:

8 घंटे का काम मज़दूर का हक़ है, एहसान नहीं।

हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, और काम का सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए।

मज़दूर को कोई ठेके का सामान न समझें – वह भी एक इंसान है, जिसके सपने हैं, परिवार है, और जीने का हक़ है।


आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है –
मज़दूरों की आवाज़ को फिर से बुलंद करना।
उनके हक़ के लिए एकजुट होना।

हमारा संकल्प:
“रोटी भी चाहिए, इज़्ज़त भी चाहिए,
इंसान हैं हम – गुलाम नहीं!”

आपका
संजय रस्तोगी
राष्ट्रीय अध्यक्ष – मानवाधिकार न्यूज़

Skip to content